सही समय.....

एक बार स्वर्ग से घोषणा हुई कि भगवान सेब बांटने आ रहे है। सभी लोग भगवान के प्रसाद के लिए तैयार होकर लाइन लगाकर खड़े हो गए। एक छोटी बच्ची बहुत उत्सुक थी क्योंकि उसने भगवान की चर्चा तो ख़ूब सुनी थी, पहली बार भगवान को देखने जा रही थी। एक बड़े और सुंदर सेब के साथ-साथ भगवान के दर्शन की कल्पना से ही खुश थी।
अंततः प्रतीक्षा समाप्त हुई। बहुत लंबी कतार में जब उसका नम्बर आया तो भगवान ने उसे एक बड़ा और लाल सेब दिया। लेकिन जैसे ही सेब पकड़कर लाइन से बाहर निकली उसका सेब हाथ से छूटकर कीचड़ में गिर गया। बच्ची उदास हो गई।
अब उसे दुबारा से लाइन में लगना पड़ेगा। दूसरी लाइन पहली से भी लंबी थी। लेकिन कोई और रास्ता नहीं था। सबलोग ईमानदारी से अपनी बारी से सेब का प्रसाद लेकर जा रहे थे।
बच्ची फिर से लाइन में लगी और अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगी। आधी क़तार को सेब मिलने के बाद सेब ख़त्म होने लगे। बहुत उदास हो गई।
उसने सोचा कि उसकी बारी आने तक तो सब सेब खत्म हो जाएंगे लेकिन वह ये नहीं जानती थी कि भगवान के भंडार कभी ख़ाली नही होते। जब तक उसकी बारी आई तो और भी नए सेब आ गए ।
भगवान तो अन्तर्यामी ठहरे। बच्ची के मन की बात जान गए। उन्होंने इस बार बच्ची को सेब देकर कहा कि पिछली बार वाला सेब एक तरफ से सड़ चुका था। तुम्हारे लिए सही नहीं था इसलिए मैने ही उसे तुम्हारे हाथों गिरवा दिया था। दूसरी तरफ लंबी कतार में तुम्हें इसलिए लगाया क्योंकि नए सेब अभी पेडों पर थे। उनके आने में समय बाकी था। इसलिए तुम्हें अधिक प्रतीक्षा करनी पड़ी।
अधिक लाल, सुंदर और तुम्हारे लिए उपयुक्त है। भगवान की बात सुनकर बच्ची संतुष्ट हो कर गई ।
बच्ची की सेब की आस और भगवान द्वारा उससे कही बात काल्पनिक कथाएं हो सकती हैं लेकिन इसके निहितार्थ हमारे लिए बहुत उपयोगी। आस न छोड़ते हुए बच्ची की तरह प्रयास करते रहें और ईमानदारी से अपनी बारी की प्रतीक्षा करें। किसी की बारी ज़ल्दी आ जाती है किसी की देर से। यह तो इस बात से तय होता है कि किसने ज़्यादा उद्यम किया था और कतार में पहले पहुँचा था

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