"ससुराल बना मायका....

नंदिनी अलार्म बजते ही उठी ....
अलार्म बंद किया और सोची थोड़ा और सो लूं लेकिन जिम्मेदारियों ने उसे झकझोर कर जगा दिया....आज उसे मायके की याद आ गई यह महीना मायके के नाम होता था क्योंकि चीनू की छुट्टी होती थी ..देर तक सोना, देर से नहाना मां के हाथ का बना गरमा गरम नाश्ता खाना ...जी भरकर घूमना-फिरना ...भैय्या और पापा से बतियाना ...
वह जल्दी जल्दी तैयार भी हो रही थी और झुंझला भी रही थी इस लाॅकडाऊन पर ....
मन ही मन बुदबुदा रही थी क्या बला है ये कोरोना भी हुँह... 
खैर ...चलो रसोई इंतजार कर रही है मम्मी पापा की चाय बनानी है । बिना नहाए रसोई में नहीं आना है यह निर्देश था मम्मी जी का शुरूआत से जिसे नंदिनी सात सालों मेें कभी नही भूली थी....
रसोई की ओर जाने से पहले उसने एक नजर बिंदास सोते पति और बेटे चीनू पर डाली और धीरे से दरवाजा लगा कर सीढ़ियां उतरने लगी...
रसोई से आ रही आवाज से उसका दिल धक्क से रह गया क्या मुझे देर हो गई.....
जल्दी-जल्दी सीढ़ी उतरने हुए नंदिनी ने हाॅल पर लगी घड़ी पर नजर दौड़ाई .....
नही देर कहा हुई मुझे सोचते हुए रसोई पहुंच गई....
मम्मी जी को वहां देखकर भय और घबराहट में बोली मम्मी जी .. आप.... सब ठीक है ना...
मुझे देर हो गई क्या...
शालिनी (सास )ने मुस्कुराकर कहा अरे नही बेटा.... तू तो समय की पक्की है...
फिर आपने चाय क्यो चढ़ा दी और कुकर भी लगा दिया ...
मुझसे कोई गलती हो गई क्या...
सौरी मम्मी जी ....
नंदिनी अब भी सहमी हुई थी, क्योंकि ऐसा तभी होता था जब मम्मी जी नाराज होती थी...
पर यह क्या जवाब में शालिनी ने नंदिनी को गले लगा लिया और माथा चूमकर बोली गलती तो मुझसे हो रही थी उसे सुधार रही हूं.....
यह गर्मी की छुट्टी का समय है इस समय तुम अपने मायके जाती थी और रिंकी अपने बच्चों के साथ यहाँ आती थी  मैं भी साल भर इंतजार करती थी बेटा ...
इस बार मन बड़ा व्याकुल हो रहा था...
कल रात रिंकी का फोन आया था बड़ी चहककर कह रही थी...
पता है मम्मी ....आज मैं उदास थी सुबह से ...
अम्मा जी ने मेरा चेहरा पढ़ लिया और फिर क्या मुझे बोली सुन बेटी अब हम कुछ दिन मां -बेटी बनकर रहेंगे, घर में तेरी पसंद का ही सब बनेगा और मैं खुद बनाकर तुझे खिलाऊंगी 
 तेरी जो मर्जी वह कर खुलकर जी ले .....मम्मी मैं बहुत खुश हूं ससुराल भी मायका बन गया आज तो..
उसकी इन बातों से मुझे भी अपार खुशी हुई और एहसास भी कि बेटी तो मेरे घर भी है ...
बेटा नंदिनी चल हम भी मां- बेटी बनकर रहेंगे शुरुआत मेरे हाथ की बनी चाय से करते हैं....
नंदिनी और शालिनी दोनो की आंखों में खुशी के आंसू थे और बाहर पापा जी खड़े मुस्कुरा रहे


                                                                    रिश्ते वही सोच नई।

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
Nice very nice
Unknown ने कहा…
Kya baat hai nys
Unknown ने कहा…
Nice very nice
बेनामी ने कहा…
This true very nc
बेनामी ने कहा…
This true very nc
बेनामी ने कहा…
Wow
G ने कहा…
भारतीय सभ्यता का अनूठा उदाहरण ...

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