संदेश

प्यार.....

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एक आदमी ने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की से शादी की। शादी के बाद दोनो की ज़िन्दगी बहुत प्यार से गुजर रही थी। वह उसे बहुत चाहता था और उसकी खूबसूरती की हमेशा तारीफ़ किया करता था। लेकिन कुछ महीनों के बाद लड़की चर्मरोग (skin Disease) से ग्रसित हो गई और धीरे-धीरे उसकी खूबसूरती जाने लगी। खुद को इस तरह देख उसके मन में डर समाने लगा कि यदि वह बदसूरत हो गई, तो उसका पति उससे नफ़रत करने लगेगा और वह उसकी नफ़रत बर्दाशत नहीं कर पाएगी। इस बीच एकदिन पति को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। काम ख़त्म कर जब वह घर वापस लौट रहा था, उसका Accident हो गया। Accident में उसने अपनी दोनो आँखें खो दी। लेकिन इसके बावजूद भी उन दोनो की जिंदगी सामान्य तरीके से आगे बढ़ती रही। समय गुजरता रहा और अपने चर्मरोग के कारण लड़की ने अपनी खूबसूरती पूरी तरह गंवा दी। वह बदसूरत हो गई, लेकिन अंधे पति को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था। इसलिए इसका उनके खुशहाल विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह उसे उसी तरह प्यार करता रहा। एकदिन उस लड़की की मौत हो गई। पति अब अकेला हो गया था। वह बहुत दु:खी था. वह उस शहर को छोड़कर जाना चाहता था। उसने अंतिम संस्कार की

दुःख का स्वाद....

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 एक बार एक नवयुवक किसी मास्टर के पास पहुंचा . “ मास्टर , मैं अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान हूँ , कृपया इस परेशानी से  निकलने का उपाय बताएं !” , युवक बोला . मास्टर बोले , “ पानी के ग्लास में एक मुट्ठी नमक डालो और उसे पीयो .” युवक ने ऐसा ही किया . “ इसका स्वाद कैसा लगा ?”, मास्टर ने पुछा। “ बहुत ही खराब … एकदम खारा .” – युवक थूकते हुए बोला . मास्टर मुस्कुराते हुए बोले , “एक बार फिर अपने हाथ में एक मुट्ठी नमक लेलो और मेरे पीछे -पीछे आओ . “ दोनों धीरे -धीरे आगे बढ़ने लगे और थोड़ी दूर जाकर स्वच्छ पानी से बनी एक झील के सामने रुक गए . “ चलो , अब इस नमक को पानी में दाल दो .” , मास्टर ने निर्देश दिया। युवक ने ऐसा ही किया . “ अब इस झील का पानी पियो .” , मास्टर बोले . युवक पानी पीने लगा …, एक बार फिर मास्टर ने पूछा ,: “ बताओ इसका स्वाद कैसा है , क्या अभी भी तुम्हे ये खारा लग रहा है ?” “नहीं , ये तो मीठा है , बहुत अच्छा है ”, युवक बोला . मास्टर युवक के बगल में बैठ गए और उसका हाथ थामते हुए बोले , “ जीवन के दुःख बिलकुल नमक की तरह हैं ; न इससे कम ना ज्यादा . जीवन में दुःख की मात्र वही रहती है , बिलकुल

सकारात्मक रहे.. सकारात्मक जिए....

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  👉एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया। वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। 👉अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।। 👉किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया। 👉सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया.. अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था। 👉जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल

मन की आवाज...

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  दुनिया में सबसे बड़ी शक्ति क्या है मन की आवाज झूठे व्यक्ति की ऊंची आवाज सच्चे व्यक्ति को चुप करवा देती है। लेकिन सच्चे व्यक्ति का मौन झूठे की जड़े हिला देती है इसके लिए हमें कभी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए ।एक बार व्यक्ति मन से सोच ले उसको यह करना है ,तो वह करके ही रहता है ।             जिंदगी किसी के लिए नहीं रुकती। हमें हर कदम कदम संभाल कर चलना चाहिए उसके लिए हमें मन, दिमाग दोनों को शांत रखना चाहिए ।            आजकल का जमाना बहुत अजीब है लोग कुछ भी करने से पहले ना सोचते ना समझते बस मन में आया वह कर दिया ।हमें हमेशा अपने मन की आवाज सुननी चाहिए हमारे अंदर की आवाज कभी हमें गलत नहीं बताएगी जो इंसान मन का सच्चा होता है अगर वह कुछ भी गलत झूठ बोलता  है उसके मन में  एक आवाज आती है यह गलत है ,इसके लिए हमें सोच समझकर करना चाहिए                हमारे अंदर की आत्मा जानती है कि  सही  क्या है चुनौती तो मन को समझाने होती है जब चुनौती मन को लग जाए ना तो सच्चा इंसान वह कर सकता जो उसने सोचा भी नहीं हो । मन कितना चंचल होता है कभी इधर कभी उधर चलता ही रहता है पर कोमल होता है इंसान का मन पानी की तरह स

अनोखी दवाई💊

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काफी समय से दादी की तबियत खराब थी . घर पर ही दो नर्स उनकी देखभाल करतीं थीं . डाक्टरों ने भी अपने हाथ उठा दिए थे और कहा था कि जो भी सेवा करनी है कर लीजिये . दवाइयां अपना काम नहीं कर रहीं हैं .उसने घर में बच्चों को होस्टल से बुला लिया . काम के कारण दोनों मियां बीबी काम पर चले जाते . दोनों बच्चे बार-बार अपनी दादी को देखने जाते . दादी ने आँखें खोलीं तो बच्चे दादी से लिपट गए .'दादी ! पापा कहते हैं कि आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं . हमें होस्टल का खाना अच्छा नहीं लगता . क्या आप हमारे लिए खाना बनाओगी ?' नर्स ने बच्चों को डांटा और बाहर जाने को कहा . अचानक से दादी उठी और नर्स पर बरस पड़ीं .'आप जाओ यहाँ से . मेरे बच्चों को डांटने का हक़ किसने दिया है ? खबरदार अगर बच्चों को डांटने की कोशिश की !''कमाल करती हो आप . आपके लिए ही तो हम बच्चों को मना किया . बार-बार आता है तुमको देखने और डिस्टर्ब करता है . आराम भी नहीं करने देता .' 'अरे! इनको देखकर मेरी आँखों और दिल को कितना आराम मिलता है तू क्या जाने ! ऐसा कर मुझे जरा नहाना है . मुझे बाथरूम तक ले चल .' नर्स हैरान थी . कल तक

अटूट श्रद्धा – विश्वास और समर्पण

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  मनुष्य के पास श्रृद्धा की ऐसी शक्ति विद्यमान हैं कि वो भौतिक जगत में बहुत सारे हेर फेर कर सकता हैं। किन्तु वह उसका सही उपयोग करना नहीं जानता हैं । श्रद्धा के आधार पर ही ब्राह्मण वरदान और शाप देने में समर्थ होते हैं । श्रृद्धा के आधार पर ही रामकृष्ण परमहंस की पत्थर की काली माँ जिंदा हो गई थी । श्रृद्धा के आधार पर ही भक्त प्रह्लाद की रक्षार्थ भगवान विष्णु स्तम्भ से निकल आये थे । और श्रृद्धा के आधार पर ही एकलव्य के मिट्टी के दोणाचार्य वो सिखाने में समर्थ हुये जो असली के दोणाचार्य भी नहीं सिखा सके । श्रृद्धा में बहुत ताकत हैं, बहुत शक्ति हैं । श्रृद्धा की शक्ति के चमत्कारों से इतिहास में पन्ने भरे पड़े हैं । श्रृद्धा एक ऐसा तत्त्व हैं, जिसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों तरीके से किया जा सकता हैं । अच्छा उपयोग क्या हैं ? और बुरा उपयोग क्या हैं? ये आपको इस कहानी से पता चल जायेगा । एक बार की बात हैं की एक गाँव में कुछ दोस्त मिलकर एक भुत बंगले पर चर्चा कर रहे थे । उनका कहना था की आजतक कोई भी उस भुत बंगले से जिंदा वापस नहीं आया था । उन्ही दिनों उनका एक शहरी दोस्त “बहादुर” शहर से गाँव आया हुआ था ।

बेटी एक वरदान......

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बेटी एक वरदानबेटी सच में एक वरदान है। वो कई रिश्ते बखूबी निभाती है।वो कभी बेटी होती है, कभी बहु,  कभी बहन तो कभी भाबी, कभी पत्नी और कभी सखीजिस घर में बेटी हो, वहाँ हमेशा चहल पहल रहती है ।एक बेटी ही अपने थकेहारे पिता का हालचाल पूछ कर उसे पानी पिलाती है, या कभी अपनी माँ का काम में हाथ बटाती है। बेटी ही अपने भाई के साथ लड़ती है और बेटी ही उसके साथ खेलती है।बड़ी होने पर बेटियाँ एक नहीं, बल्कि दो घरों को जोड़ती है । बेटियाँ सिर्फ पारिवारिक जिम्मेदारियां हीनहींनिभातीहै, पर अलग अलग क्षेत्रों में अव्वल भी बन सकती है । आज कल हम सभी क्षेत्रों में लड़कियों को आगे बढ़ते देख सकते है। बेटियाँ किसी भी घर की आन और शान होती है और उसकी रौनक बढाती है। पिता :- कन्यादान नहीं करूंगा जाओ , मैं नहीं मानता इसे , क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं ,जिसको दान में दे दूँ ; मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में , पति के साथ मिलकर निभाना तुम , मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा ,आज से तुम्हारे दो घर ,जब जी चाहे आना तुम , जहाँ जा रही हो ,खूब प्यार बरसाना तुम , सब को अपना बनाना तुम ,पर कभी भी न मर मर के जीना ,न जी जी के

सबसे बड़ी शक्ति सहन शक्ति.......

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बंद दुकान में कहीं से घूमता फिरता एक सांप घुस गया। दुकान में रखी एक आरी से टकराकर सांप मामूली सा जख्मी हो गया। घबराहट में सांप ने पलट कर आरी पर पूरी ताक़त से डंक मार दिया जिस कारण उसके मुंह से खून बहना शुरू हो गया। अब की बार सांप ने अपने व्यवहार के अनुसार आरी से लिपट कर उसे जकड़ कर और दम घोंट कर मारने की पूरी कोशिश कर डाली। अब सांप अपने गुस्से की वजह से बुरी तरह घायल हो गया। दूसरे दिन जब दुकानदार ने दुकान खोली तो सांप को आरी से लिपटा मरा हुआ पाया जो किसी और कारण से नहीं केवल अपनी तैश और गुस्से की भेंट चढ़ गया था। कभी कभी गुस्से में क़ुछ लोग दूसरों को हानि पहुंचाने की कोशिश करते हैं उन्हें पता ही नही चलता के वो अपना ही नुकसान कर रहे हैं अब इस कहानी का सार ये है कि अच्छी जिंदगी के लिए कभी कभी हमें, कुछ चीजों को,  #कुछ घटिया लोगों को  #कुछ घटनाओं को,  #_कुछ कामों को और  #कुछ बातों को इग्नोर करना चाहिए। अपने आपको मानसिक मजबूती के साथ इग्नोर करने का आदी बनाइये। सबसे बड़ी शक्ति सहन शक्ति है।" " संयम ऐसी सवारी है जो अपने सवार को गिरने नहीं देती न किसी के कदमों में न किसी की नजरों में

सही सोच का जादु...

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सोच उस पेड़ की तरह होती है जिसकी जड़ मजबूत हो तो वह गना होता है उसी तरह अपनी सोच भी इतनी अच्छी रखो कि किसी के आइडल बन सको ना की किसी की बुराई के बातों में आपका नाम आए...     जैसे किसी सफेद कपड़े पर काला दाग लगाओ और सब से पूछो सबको वह काला दाग जरूर दिखेगा पर बाकी का सफेद कपड़ा नहीं उसी तरह हमें लोगों की बुराई जरूर दिखती है पर अच्छाई नहीं वह काला दाग इतना छोटा हमें दिख गया पर बाकी का सफेद कपड़ा नहीं उसी प्रकार हमें लोगों की एक गलती दिखाई देती है पर 100  अच्छाई नहीं यह तो हमारी सोच है जो हमें दिखाती है, सोच हमेशा उस आसमान की तरह रखो जो हमेशा साफ होता है कभी-कभी काले बादल आते हैं पर थोड़े टाइम में निकल जाते हैं सोच भी ऐसी ही रखो कभी बुरी सोच आए तो उसे अपने पास मत रखो निकाल दो अपने से दूर कर दो.....        जैसे IMPOSSIBLE  शब्द को ही देख लो कोई सोचता है यह तो  IMPOSSIBLE है पर  वर्ड ही खुद कहता है I am possible वो तो अपनी अपनी सोच है हम उसे किस तरह से देखें हमें कोई भी काम ,पढ़ाई, समझने, सोलव  करने आदि के लिए सोचना पड़ता है पर हमें हमेशा पॉजिटिव सोचना चाहिए ! जैसे कोई अगर किसी लड़की और लड़क

जिन्दगी एक किताब......

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जिन्दगी एक किताब है पढ़ने का सबका अलग तरीका है कुछ तो दुनिया ने सिखाया है हमें कुछ अपने आप ही सीखा है। जरूरी नहीं सबकुछ पसंद का ही हो ख़याल तो सबका ही हमको रखना है बिखराव तो झट से कभी हो जायेगा सबको मिलाए रखना अलग सलीका है। फलसफे तो जिन्दगी के और भी हैं जीना सरलता से अगर आ जाये तो मन भूल जायेगा बातें जो कड़वी थीं बस बात मीठी हो भले सब फीका है। आज़मा तू मत सभी तरीकों को दिल तेरा चाहे वही तू काम कर कर इकठ्ठा मत जहां के बोझ को मिलकर रहें  किताब के वर्ड में ही  हमारी जिंदगी छुपी हुई हे पता है कैसे की - किनार! ता - तो बी - बनाना है इसका मतलब जिंदगी चाहे कितनी भी बड़ी हो कभी न कभी वो किनारे आती ही है उसका मतलब जिंदगी में कितनी भी प्रॉब्लम हो एक दिन सॉल्व तो हो ही जाती हे  किताब जैसी दोस्ती जिंदगी में होनी चाहिए ...नो कमेंट , नो आर्ग्युमेंट ओनली सपोर्ट एंड गाइडेंस जस्ट लाइक बुक वो कभी हमसे कुछ नहीं मांगती बस देती ही रहती हे सही राह ...सही मंजिल.... उलझने बहुत है जिंदगी में पर एक किताब बनकर देखो जो सब को कुछ न कुछ सिखाती है समझाती है साथ देती है एसी जिंदगी बनाओ की लोग कह सके जिंदगी एक किताब जैसी हो