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मन की आवाज...

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  दुनिया में सबसे बड़ी शक्ति क्या है मन की आवाज झूठे व्यक्ति की ऊंची आवाज सच्चे व्यक्ति को चुप करवा देती है। लेकिन सच्चे व्यक्ति का मौन झूठे की जड़े हिला देती है इसके लिए हमें कभी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए ।एक बार व्यक्ति मन से सोच ले उसको यह करना है ,तो वह करके ही रहता है ।             जिंदगी किसी के लिए नहीं रुकती। हमें हर कदम कदम संभाल कर चलना चाहिए उसके लिए हमें मन, दिमाग दोनों को शांत रखना चाहिए ।            आजकल का जमाना बहुत अजीब है लोग कुछ भी करने से पहले ना सोचते ना समझते बस मन में आया वह कर दिया ।हमें हमेशा अपने मन की आवाज सुननी चाहिए हमारे अंदर की आवाज कभी हमें गलत नहीं बताएगी जो इंसान मन का सच्चा होता है अगर वह कुछ भी गलत झूठ बोलता  है उसके मन में  एक आवाज आती है यह गलत है ,इसके लिए हमें सोच समझकर करना चाहिए                हमारे अंदर की आत्मा जानती है कि  सही  क्या है चुनौती तो मन को समझाने होती है जब चुनौती मन को लग जाए ना तो सच्चा इंसान वह कर सकता जो उसने सोचा भी नहीं हो । मन कितना चंचल होता है कभी इधर कभी उधर चलता ही रहता है पर कोमल होता है इंसान का मन पानी की तरह स

अनोखी दवाई💊

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काफी समय से दादी की तबियत खराब थी . घर पर ही दो नर्स उनकी देखभाल करतीं थीं . डाक्टरों ने भी अपने हाथ उठा दिए थे और कहा था कि जो भी सेवा करनी है कर लीजिये . दवाइयां अपना काम नहीं कर रहीं हैं .उसने घर में बच्चों को होस्टल से बुला लिया . काम के कारण दोनों मियां बीबी काम पर चले जाते . दोनों बच्चे बार-बार अपनी दादी को देखने जाते . दादी ने आँखें खोलीं तो बच्चे दादी से लिपट गए .'दादी ! पापा कहते हैं कि आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं . हमें होस्टल का खाना अच्छा नहीं लगता . क्या आप हमारे लिए खाना बनाओगी ?' नर्स ने बच्चों को डांटा और बाहर जाने को कहा . अचानक से दादी उठी और नर्स पर बरस पड़ीं .'आप जाओ यहाँ से . मेरे बच्चों को डांटने का हक़ किसने दिया है ? खबरदार अगर बच्चों को डांटने की कोशिश की !''कमाल करती हो आप . आपके लिए ही तो हम बच्चों को मना किया . बार-बार आता है तुमको देखने और डिस्टर्ब करता है . आराम भी नहीं करने देता .' 'अरे! इनको देखकर मेरी आँखों और दिल को कितना आराम मिलता है तू क्या जाने ! ऐसा कर मुझे जरा नहाना है . मुझे बाथरूम तक ले चल .' नर्स हैरान थी . कल तक

अटूट श्रद्धा – विश्वास और समर्पण

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  मनुष्य के पास श्रृद्धा की ऐसी शक्ति विद्यमान हैं कि वो भौतिक जगत में बहुत सारे हेर फेर कर सकता हैं। किन्तु वह उसका सही उपयोग करना नहीं जानता हैं । श्रद्धा के आधार पर ही ब्राह्मण वरदान और शाप देने में समर्थ होते हैं । श्रृद्धा के आधार पर ही रामकृष्ण परमहंस की पत्थर की काली माँ जिंदा हो गई थी । श्रृद्धा के आधार पर ही भक्त प्रह्लाद की रक्षार्थ भगवान विष्णु स्तम्भ से निकल आये थे । और श्रृद्धा के आधार पर ही एकलव्य के मिट्टी के दोणाचार्य वो सिखाने में समर्थ हुये जो असली के दोणाचार्य भी नहीं सिखा सके । श्रृद्धा में बहुत ताकत हैं, बहुत शक्ति हैं । श्रृद्धा की शक्ति के चमत्कारों से इतिहास में पन्ने भरे पड़े हैं । श्रृद्धा एक ऐसा तत्त्व हैं, जिसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों तरीके से किया जा सकता हैं । अच्छा उपयोग क्या हैं ? और बुरा उपयोग क्या हैं? ये आपको इस कहानी से पता चल जायेगा । एक बार की बात हैं की एक गाँव में कुछ दोस्त मिलकर एक भुत बंगले पर चर्चा कर रहे थे । उनका कहना था की आजतक कोई भी उस भुत बंगले से जिंदा वापस नहीं आया था । उन्ही दिनों उनका एक शहरी दोस्त “बहादुर” शहर से गाँव आया हुआ था ।